Monday, March 18, 2013

पलायन

एक सच यह है की हमारे मिथिलांचल के युवक काम की तलाश मे पलायन करते है !
क्योंकि मिथिला मे नौकरी मिलना बड़ी टेढ़ी खीर है !
उस पर से बहुत ही कम सैलरी दी जाती है !
एक कंप्यूटर ऑपरेटर को 1500-2500 तक की सैलरी दी जाती है !
मार्केट के दुकान में काम करने वाले स्टाफ को 2500-3500 तक की सैलरी दी जाती है !
स्व-व्यवसाय करना किसी जुआ से कम नहीं है ! क्योंकि बेरोजगारी इतनी ज्यादा है की अगर कोई नया व्यवसाय करता है और उसमे उसे थोड़ा भी लाभ मिलने लगता है तो उसके अगल-बगल में ही दसियों दुकान खुल जाते है ! सिमित ग्राहक होने के वजह से व्यवसाय पर संकट के बादल मंडराने लगते है !
ऐसे मे एक ही उपाय बचता है "पलायन" !
जिसके फायदे भी है और नुकसान भी !
फायदा यह है की उसे महानगरों में उचित मेहनताना मील जाता है ! फिजूलखर्ची को बचा कर युवक खुद का और अपने परिवार का भरणपोषण किसी तरह कर ही लेता है !उस पर सब से बड़ा फायदा यह होता है की युवकों की जीवनशैली और रहन-सहन भी पहले के अपेक्षा बढ़िया हो जाता है !
दूसरा फायदा यह होता है की महानगरों मे लोकलाज की भावना से युवकों को आजादी मिलती है और वह स्वच्छंद भाव से कोई भी काम करने में शर्म नहीं महसूस करते हैं ! और यही भावना उसे कर्मशील बनाती है !
पलायन से नुकसान उससे भी घातक है खासकर युवाओं में - सबसे पहला नुकसान उसे व्यसन के रूप मे उठाना पड़ता है ! महानगरों मे जा कर उसे एक नए आजादी का अनुभव होता है ना परिवार का डर ना लोकलाज की चिंता , ना कोई देखने वाला और ना कोई टोकने वाला ! जिसका पूरा पूरा फायदा वो उठाना चाहता है और अपने दबे हुए अरमानों को साकार करने लगता है ! जो शुरू मे तो शौक होता है मगर बाद में मजबूरी बन जाती है ! और यही व्यसन उसे कैंसर और एड्स के रूप मे मौत के दरवाजे तक ले जाती है !
क्रमशः .....

No comments:

Post a Comment