Friday, April 19, 2013

हम्मर बात हमरे भाषा में

हम्मर बात हमरे भाषा में 
देखिये जेना मैथिली आ हिंदी हमरा लोग का भाषा है ओन्हैते इहो हमरा लोग का एगो जरसी भाषा हुआ !
आ दुन्नु से बेसी मेहनत लगता है ई भाषा मे लिखे मे !
त आगा सुनिए .....

अरे नहीं मानिए भाई हमरी बतिया !

हम तो ठहरे अधजल गगरी !
तनी मनी त छलकबे करेंगे !
अभी कुच्छे देर पहिले बिजली कहीं और चली गयी !
तो हमारी मिसेज हमको अँधेरा मे देख लालटेन जला इस "टिपटिपिया" के बगल मे रख दी आ बोली की झूठो का खाली भर दिन टिपटिपाते रहते है, कुछ फायदों होता है की नहीं !
अब भाई मुझे आपसे बतियाना था सो मैंने अपने मुंह पर फेविकोल लगा लिया और फेर से टिपटिपाने लगा !
लालटेन को देख कर कुछ याद आया तो पहुलका लिखलाहा सब मेटा दिया और नबका उपदेश लिखने लगे !
अगर सुनना हो तो कोमेंट कर के बोलियेगा !
न ही त काहे ला झूठो के मच्छर से कटवा कटवा कर लिखेंगे !
मगर बात है बहुत मजेदार मिंटो फ्रेस की तरह !


देरी के लिए एक हाथ से माफ़ी मांगते हैं !
का है ना की दोसर हाथ से मच्छरों ना मारना पड़ता है !
अब देखिये इस बैज्ञानिक सब का कमाल सौसे इंसानियत को खतम करने का हथियार बना लिया है मोदा एगो मच्छर के खात्मा ई बैज्ञानिकबा सब से नहीं हुआ है |
दक्षिण भारत मे एगो साइकिल पर लील टिनोपाल बेचे बाला पर ई मच्छर के वजह से एतना बड़का पैसा वाला बन गया की दू साल पहिले केतना दून करोड के कंपनी का मालिक बन गया !
ना ही पहिचा
ने !
अरे उहे मैक्सो का मालिक जो पहिले उजाला बनाया और फेर मैक्सो !
पन्द्रह हजार से धंधा इसटाट किया था !
आ आज हमको लगता है की पैसो गिनने के लिए अलग से आदमी सब रखले होगा !
आ एगे हमरे बगल का राम खेलावन है जिसको पान दोकान खोलने मे एक लाख लग गिया !
आ उहो कोनों कम बरका जासर नहीं है !
जासर काहे का ?
अरे भाई जब कोनों कुमार लड़का बियाह लक्चीयैल मे दोकान खोलेगा त ओकर मतलब समझाबे पड़ेगा का आप सब बुद्धिमान लोग को !
अरे दहेज के लिए भाई ! बिहा होने वाला है एक लाख फसाया है तो पांच लाख कमैबो करेगा ना !
खैर छोड़िये हम त ट्रेक से चेंजे हो गए ! आ असल मुद्दा त छोड़ दिए भाई !
अच्छा पहिले इतना पढ़ लीजिए आ नीक लगेगा त बोलियेगा त आरो मैन बात सब बजेंगे !

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